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लेखनी प्रतियोगिता -27-Sep-2022 जख्म

वो देते रहे, हम लेते रहे
इस तरह जख्मों से
अपनी झोली भरते रहे ।
खुशकिस्मत हैं हम
कि उन्होंने कुछ तो दिया
इस तरह हमारी वफा का
कुछ तो सिला दिया ।
उन्हें मिले तमाम खुशियां
हमारे हिस्से में आयें दुश्वारियां
इस तरह मंजूर हैं हमें
मेरे यार की यारियां  ।।

श्री हरि
27.9.22


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9 Comments

Swati chourasia

28-Sep-2022 08:24 PM

बहुत खूब 👌

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Punam verma

28-Sep-2022 08:04 AM

Very nice

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उम्दा, उत्कृष्ट, सर्वोत्तम

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